बांग्लादेश श्रीलंका के प्रति भारत की विदेश नीति
भारत ने बांगलादेश को स्वतंत्र कराने के लिए मुख्य भूमिका निभाई जिससे 1971 में बांगलादेश पाकिस्तान से आजाद हुआ । | ( i ) भारत - बांग्लादेश मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध ( 1971 से 1975 ) - 1971 से 1975 तक भारत तथा बांग्लादेश के संबंध मैत्रीपूर्ण रहे । 6 दिसम्बर 1971 को भारत ने बांग्लादेश को मान्यता दे । दी । 19 मार्च , 1972 को भारत और बांग्लादेश के मध्य एक ' मैत्री सन्धि ' हुई जिसकी अवधि 25 वर्ष की थी । इस सन्धि के द्वारा दोनों देशों ने एक - दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने , एक - दूसरे की सीमाओं का आदर करने , विश्वशांति और सुरक्षा को दृढ़ बनाने आदि का संकल्प लिया । सन्धि में यह भी कहा गया कि मतभेद होने पर बातचीत द्वारा समस्या का निदान किया जाएगा ।
( ii ) मतभेदपूर्ण संबंध ( 1975 - 1981 ) - 15 अगस्त , 1975 को शेख मुजीब की हत्या के बाद बांग्लादेश के शासकों ने भारत विरोधी नीति अपनायी । बांग्लादेश ने गंगा के पानी के बँटवारे की समस्या ( फरक्का विवाद ) को अन्तर्राष्ट्रीय रूप देने का प्रयत्न किया और संयुक्त राष्ट्र संघ व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस विवाद को उछालने का प्रयास किया । इस विवाद को सुलझाने के लिए भारत की पहल पर दोनों देशों के मध्य 26 सितम्बर , 1977 को एक समझौता हुआ , लेकिन बांग्लादेश की आपत्तियों के कारण भारत ने 1982 में एक स्मरण - पत्र द्वारा इस समझौते को रद्द कर दिया । इस समय बांग्लादेश ने अल्पसंख्यकों , हिन्दू और बिहारी मुसलमानों के प्रति अनुदार रवैया अपनाया ।मुहरी नदी के पानी की मध्य रेखा ( 1974 के समझौते के अनसारी की सीमा - रेखा है ।
परन्तु बांग्लादेश रायफल के अधिकारियों ने इस समझौते का उल 1979 में भारतीय जमीन पर अपना दावा पेश किया और भारतीय किसानों पर गोलियों से इसके अलावा अगस्त , 1981 में बांग्लादेश की सेना तथा युद्धपोतों ने नवमूर द्वीप , जो बंग खाड़ी में स्थित है , पर कब्जा करने की असफल कोशिश की , परन्तु भारत के सैनिकों की मनै के कारण ऐसा संभव न हो सका । इसी समय चकमा शरणार्थियों की समस्या भी भारत के सा आई , जो आज तक निरन्तर बनी हुई है । | ( iii ) भारत - बांग्लादेश संबंधों में कुछ सुधार ( 1982 से 2005 ) - अप्रैल , 1982 में बांग्लादेश में जनरल इरशाद के सत्तारूढ़ होने के बाद से भारत - बांग्लादेश के संबंधों में कुछ सुधार हुआ है ।
अक्टूबर , 1982 में जनरल इरशाद के भारत आने पर ' स्मरण - पत्र के अनुसार फरक्का समझौते को रद्द कर दिया गया । दोनों देशों में आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक संयुक्त आर्थिक आयोग की स्थापना की गयी । 30 जुलाई , 1983 को दोनों देशों के मध्य तीसरा जल समझौता हुआ । इसके बाद 1 जुलाई , 1986 में जनरल इरशाद को भारत यात्रा के कारण संबंधों में सुधार हुआ । सितम्बर , 1991 में बांग्लादेश में संसदीय प्रणाली की पुनस्र्थापना तथा प्रधानमंत्री पद पर बेगम खालिदा जिया के आने से भारत - बांग्लादेश संबंध बढे । मई , 1992 में प्रधानमंत्री खालिदा जिया के भारत आने के बाद 26 जून , 1992 को भारत ने । तीन बीघा क्षेत्र बांग्लादेश को हस्तान्तरित कर दिया । 10 से 12 दिसम्बर , 1996 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री श्रीमती शेख हसीना के भारत आने पर कई संधियाँ हुई ,
जिनमें से महत्त्वपूर्ण संधि गंगाजल के बंटवारे से संबंधित फरक्का संधि मुख्य थी । 9 जून , 1997 को अगरतल्ला में चेकमा शरणार्थियों की बांग्लादेश वापसी के संदर्भ में दोनों देशों के मध्य समझौता हुआ । भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के मैत्रीपूर्ण व्यवहार के कारण जून , 1999 से कलकत्ता - ढाका बस सेवा प्रारंभ की गई । ( iv ) भारत - बांग्लादेश मैत्री एक्सप्रेस रेलगाड़ी शुरू , 2008 - भारत व बांग्लादेश के बीच 43 वर्ष के अन्तराल के बाद 14 अप्रैल , 2008 को बंगाली नव वर्ष पोइला बैशाख के अवसर पर कोलकाता से ढाका के लिए रेल सेवा शुरू की गई । भारत - पाक युद्ध के दौरान यह रेल सेवा बन्द कर दी गई थी । इसी बीच 1996 में कोलकाता व ढाका के बीच सीधी बस सेवा शुरू की गई थी ।
इस रेलगाड़ी की शुरुआत से दोनों देशों के बीच मधुर सम्बन्धों की प्रगाढ़ता बढ़ी तथा आपसी विवाद वाले मुद्दों को सुलझाने के लिए भी दोनों देशों ने संकल्प लिया और अपने सम्बन्र्यों को बेहतर बनाने की कोशिश की । ( V ) भारत - बांग्लादेश जल संधि का नवीनीकरण 2009 - भारत व बांग्लादेश के मध्य अन्तक्षेत्रीय जल परिवहन सम्बन्धी संधि का दो वर्ष के लिए पुनः23 - 24 मार्च 2009 को ढाका में । सम्पन्न बैठक में नवीनीकरण किया गया । 1972 में हस्ताक्षरित इस संधि का नवीनीकरण प्रत्यक दो वर्ष बाद किया जाता है । गए भार शेख हस् बांग्लादे लाभदाय भारत व जुड़े इस मार्च , 20 के लिए को लागू भारत । के अन्त समस्या तमिल र 18 सूत्र ( vi ) शेख हसीना की भारत यात्रा 2010 भारत - बांग्लादेश के आपसी सम्बन्धी के मघर बनाने के लिए ग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 10 जनवरी 2010 को चार दिवसाय भारत यात्रा पर आई ।
उनके साथ बहुआयामी 70 सदस्यीय शिष्टमण्डल भी भारत आया । इस यात्रा की पृष्ठभूमि सकारात्मक थी , क्योंकि बांग्लादेश ने वहाँ सक्रिय उल्फा आतंकवादियों का भारत को सपि दिया । उधर भारत ने शेख हसीना को इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया । इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य पाँच समझौते हुए । ये समझौते निम्न थे — ( 1 ) आपराधिक मामलों में वैधानिक मान्यता प्राप्त हो । ( 2 ) सजा प्राप्त कैदियों को एक - दूसरे को सपना ! ( 3 ) आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई को मजबूत करना । 4 ) संगठित अपरार्धा व नशीली दवाओं के व्यापार पर रोक लगाना । ( 50 विद्युत उत्पादन में सहयोग करने तथा सांस्कृतिक आदान - प्रदान । ( vii ) भारतीय प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा 2011 पारस्परिक हित के सभी क्षेत्रों में भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग जारी रखने के लिए 6 - 7 सितम्बर , 2011 को भारत के प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह ने बांग्लादेश की यात्रा की ।
इस यात्रा के दौरान भारत ने तीन बीघा क्षेत्र से दहाग्राम एवं अंगोर पोटा एन्क्लेवों तक बांग्लादेशी नागरिकों के लिए चौबीसों घंटों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने पर सहमति व्यक्त की तथा बांग्लादेश द्वारा किए गए अनुरोध के प्रत्युत्तर में 46 वस्त्र मदों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई । ( viii ) भारत - बांग्ला सम्वन्य 2013 - संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन में गए भारतीय प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह ने 29 सितम्बर 2013 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ बातचीत की । इस वार्ता में दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की । बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित जमीनी समझौते को दोनों देशों के लिए लाभदायक करार दिया और इसके विरोधियों से अपना यह विरोध समाप्त करने की अपील की । भारत व बांग्लादेश के बीच 4069 किमी . की सीमा पर बस्तियों व अवैध कब्ञों के समाधान से जुड़े इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच 160 क्षेत्रों के आदान - प्रदान का प्रस्ताव है ।
| ( ix ) भारतीय राष्ट्रपति की बांग्लादेश यात्रा 2013 - भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने मार्च , 2013 में बांग्लादेश की यात्रा की जिसमें उन्होंने तीस्ता नदी के जल के बंटवारे के समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की । साथ ही उन्होंने दोनों देशों के बीच भू - सीमा समझौते को लागू करने के प्रति प्रतिबद्धता अभिव्यक्त की । | इस तरह दोनों देश अपने सम्बन्धों को बेहतर बनाने के लिए कटिबद्ध हैं । भारत की श्रीलंका के प्रति विदेश नीति भारत एवं श्रीलंका के संबंध सदियों पुराने हैं । 1950 में निर्माणाधीन कोलम्बो योजना के अन्तर्गत दोनों देशों ने आर्थिक क्षेत्र में पूर्ण सहयोग किया है । दोनों देशों के मध्य मुख्य समस्या तमिल नागरिकों तथा अप्रवासी भारतीयों से संबंधित है ।
| भारत - श्रीलंका के मध्य तनाव का मुख्य मुद्दा तमिल समस्या है , जो 1982 में पनपी थी । तमिल समस्या के समाधान के लिए 29 जुलाई , 1987 को राजीव गाँधी और जयवर्द्धने के मध्य 18 सूत्री समझौता हुआ । इस समझौते के अनुसार भारत ने तमिलों की विद्रोही गतिविधियों के विरुद्ध श्रीलंका सरकार को सहयोग देने का वचन दिया । श्रीलंका के अनुरोध पर 1988 में भारत ने अपनी शांति सेना भेजी जिसके माध्यम से तमिलों के अग्रवादी संगठन लिट्टे की उग्रता को मजोर कर श्रीलंका की जातीय उग्रता को कम किया गया । भारत ने मार्च , 1990 में शांति सेना * श्रीलंका से वापस भारत बुला लिया तथा तमिलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राष्ट्रपति प्रेमदासा इलि दी
। परन्तु अभी भी तमिलों की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है तथा उनकी स्थिति में वास सुधार नहीं हुआ है । भारत ने तमिलों के संबंध में अभी तटस्थता का रास्ता अपनाया इसके अलावा भारत ने श्रीलंका के साथ 1998 में मुक्त व्यापार समझौता किया है । लका - गृहयुद्ध तथा भारत , 2007 - 08 - श्रीलंका में गृहयुद्ध दिन - पर - दिन तीखा होता इस बढ़ते गृहयुद्ध के साथ ही भारत की चिन्ता व दुविधा भी बढ़ती जा रही है ।वर्तमान भारत सरकार श्रीलंका के गृहयुद्ध के प्रश्न पर एक तर्कसंगत नीति पर चल रही । सरकार चाहती है कि गृहयुद्ध को रोक कर शान्ति स्थापित की जाए , तमिल समस्या का सैनिक नहा राजनीतिक समाधान खोजा जाए । यह समाधान श्रीलंका की राष्ट्रीय एकता के सिद्धा आधारित है ।
23 - 24 अप्रैल 2008 को उत्तरी जाफना में सेना तथा लिट्टे के मध्य भीषण टकर हुआ जिसमें लिट्टे के 100 सदस्य तथा सेना के 43 जवान मारे गए । संघर्ष में सफल होकर से ने जाफना क्षेत्र में लिट्टे पर दबाव बढ़ा दिया है । विडम्वना है कि श्रीलंका के दोनों ही तमिल पर भारत सरकार की नीति से असन्तुष्ट हैं तथा उसकी आलोचना करते हैं । एक पक्ष का आरोप यर है कि भारत सरकार तमिल नरसंहार ' को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही है तो दूसरा पक्ष आरोप लगाता है कि भारत सरकार श्रीलंका के आन्तरिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही है । जबकि भारत के प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह श्रीलंका की क्षेत्रीय अखण्डता को लेकर चितित है । बहरहाल श्रीलंका में हालात नाजुक हैं । द्वीप राज्य में शान्ति और राजनीतिक स्थिरता भारत के हित में है । अतः भारत सरकार को दो विपरीत दिशाओं से होने वाली आलोचना पर ध्यान न देकर अपना हर कदम श्रीलंका और भारत के लिए सोच - समझकर उठाना है ।
। श्रीलंका संसदीय चुनावों में महिंदा राजपक्षे पुनर्निर्वाचित , 2010 - श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए 26 जनवरी , 2010 को सम्पन्न चुनाव में निवर्तमान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे फिर से निर्वाचित हुए हैं । नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने भारत के साथ सम्बन्धों को बेहतर बनाने पर जोर दिया । श्रीलंका में लिट्टे के सफाए से मिली शाबासी का लाभ उठाने के लिए निवर्तमान राष्ट्रपति राजपक्षे ने समय से दो वर्ष पूर्व ही यह चुनाव कराए थे । लिट्टे के सफाए में मुख्य भूमिका सेना की बताते हुए तत्कालीन सैन्य प्रमुख फोन्सेका भी इसी लाभ के दावेदार थे । दोनों ही प्रत्याशियों द्वारा एक - दूसरे के विरुद्ध आग उगलने के कारण यह चुनाव काफी कटुतापूर्ण हो गया था । राष्ट्रपति पद के लिए चुनावों के बाद संसदीय चुनाव भी श्रीलंका में 8 अप्रैल , 2010 को कराए गए हैं ।
इन चुनावों में भी भारी बहुमत राजपक्षे के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को प्राप्त हुआ है जिसने भी भारत के साथ मधुर सम्बन्ध बनाने पर बल दिया है । । भारत और श्रीलंका के मध्य फेरी और नौका सेवा फिर से शुरू – भारत और श्रीलंका के बीच फेरी और नौका सेवा 15 जून , 2011 से पुनः शुरू हो गई । उत्तरी श्रीलंका में जातीय हिंसा के कारण 1983 के बाद नौका सेवाएँ बन्द की गई थी । । प्रमुख बात यह है कि यह नौका सेवा वर्ष 2010 में प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह और श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे की संयुक्त घोषणा का परिणाम है । इससे दोनों देशों की जनता को यात्रा के लिए एक और सस्ता विकल्प मिल गया । यह एक सार्थक प्रयास है जो दोनों देशों के सम्बन्धों पर निर्भर करता है ।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति की भारत यात्रा , 2012 - 21 सितम्बर , 2012 को श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री महिन्द्रा राजपक्षे ने सांची , मध्यप्रदेश में सांची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के शिलान्यास हेतु भारत की यात्रा की । समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका की पारम्परिक शिक्षा भारतीय ज्ञान परम्पराओं से उद्भूत है । श्रीलंका के लोग , सरकार । और में स्वयं सांची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की सफलता हेतु अपना योगदान जारी रगे । जिससे दोनों देशों के सम्बन्ध मधुर रहेंगे । श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय मानवीय मूल्यों की स्थापना में सहायक सिद्ध होगा । श्रीलंका से नेपाल । सन्धि हु अक्टूबर 1961 रही । आश्वास लिए प्रः परियोज इत्यादि तकनीक आगे ब को रेल वो पी . के प्रधा समीक्षा नेपाल । 28 मई संघीय में चार लम्बी । किए ।
लाए वट वृक्ष के एक पौधे को भी उन्होंने वहाँ आरोपित किया । श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ आर्थिक एवं वाणिज्यिक सम्बन्धों के विस्तार हेतु चर्चा भी की ।भारत - श्रीलंका सम्बन्ध , 2013 - भारत सरकार , श्रीलंका सरकार की तमिलों के प्रति बेरुखी से नाराज थी । अमेरिका ने जब श्रीलंकाई तमिलों को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने में विलम्व करने के कारण मार्च , 2013 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में प्रस्ताव रखा तो भारत ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं किया क्योंकि श्रीलंकाई तमिलों को राजनीतिक अधिकार न मिलने से तमिलनाडु का जनमत उद्वेलित था । । | मानवाधिकार परिषद् में भारत ने श्रीलंका के पक्ष में मतदान किया 2014 - मार्च , 2014 में भारत सहित 11 अन्य देशों ने जिनेवा में 47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् की वार्षिक बैठक में श्रीलंका के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया जबकि रूस , चीन एवं पाकिस्तान सहित 12 अन्य देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया । भारत के इस कदम को श्रीलंका के साथ सम्बन्ध सुधारने के तौर पर देखा जा रहा है
( ii ) मतभेदपूर्ण संबंध ( 1975 - 1981 ) - 15 अगस्त , 1975 को शेख मुजीब की हत्या के बाद बांग्लादेश के शासकों ने भारत विरोधी नीति अपनायी । बांग्लादेश ने गंगा के पानी के बँटवारे की समस्या ( फरक्का विवाद ) को अन्तर्राष्ट्रीय रूप देने का प्रयत्न किया और संयुक्त राष्ट्र संघ व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस विवाद को उछालने का प्रयास किया । इस विवाद को सुलझाने के लिए भारत की पहल पर दोनों देशों के मध्य 26 सितम्बर , 1977 को एक समझौता हुआ , लेकिन बांग्लादेश की आपत्तियों के कारण भारत ने 1982 में एक स्मरण - पत्र द्वारा इस समझौते को रद्द कर दिया । इस समय बांग्लादेश ने अल्पसंख्यकों , हिन्दू और बिहारी मुसलमानों के प्रति अनुदार रवैया अपनाया ।मुहरी नदी के पानी की मध्य रेखा ( 1974 के समझौते के अनसारी की सीमा - रेखा है ।
परन्तु बांग्लादेश रायफल के अधिकारियों ने इस समझौते का उल 1979 में भारतीय जमीन पर अपना दावा पेश किया और भारतीय किसानों पर गोलियों से इसके अलावा अगस्त , 1981 में बांग्लादेश की सेना तथा युद्धपोतों ने नवमूर द्वीप , जो बंग खाड़ी में स्थित है , पर कब्जा करने की असफल कोशिश की , परन्तु भारत के सैनिकों की मनै के कारण ऐसा संभव न हो सका । इसी समय चकमा शरणार्थियों की समस्या भी भारत के सा आई , जो आज तक निरन्तर बनी हुई है । | ( iii ) भारत - बांग्लादेश संबंधों में कुछ सुधार ( 1982 से 2005 ) - अप्रैल , 1982 में बांग्लादेश में जनरल इरशाद के सत्तारूढ़ होने के बाद से भारत - बांग्लादेश के संबंधों में कुछ सुधार हुआ है ।
अक्टूबर , 1982 में जनरल इरशाद के भारत आने पर ' स्मरण - पत्र के अनुसार फरक्का समझौते को रद्द कर दिया गया । दोनों देशों में आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक संयुक्त आर्थिक आयोग की स्थापना की गयी । 30 जुलाई , 1983 को दोनों देशों के मध्य तीसरा जल समझौता हुआ । इसके बाद 1 जुलाई , 1986 में जनरल इरशाद को भारत यात्रा के कारण संबंधों में सुधार हुआ । सितम्बर , 1991 में बांग्लादेश में संसदीय प्रणाली की पुनस्र्थापना तथा प्रधानमंत्री पद पर बेगम खालिदा जिया के आने से भारत - बांग्लादेश संबंध बढे । मई , 1992 में प्रधानमंत्री खालिदा जिया के भारत आने के बाद 26 जून , 1992 को भारत ने । तीन बीघा क्षेत्र बांग्लादेश को हस्तान्तरित कर दिया । 10 से 12 दिसम्बर , 1996 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री श्रीमती शेख हसीना के भारत आने पर कई संधियाँ हुई ,
जिनमें से महत्त्वपूर्ण संधि गंगाजल के बंटवारे से संबंधित फरक्का संधि मुख्य थी । 9 जून , 1997 को अगरतल्ला में चेकमा शरणार्थियों की बांग्लादेश वापसी के संदर्भ में दोनों देशों के मध्य समझौता हुआ । भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के मैत्रीपूर्ण व्यवहार के कारण जून , 1999 से कलकत्ता - ढाका बस सेवा प्रारंभ की गई । ( iv ) भारत - बांग्लादेश मैत्री एक्सप्रेस रेलगाड़ी शुरू , 2008 - भारत व बांग्लादेश के बीच 43 वर्ष के अन्तराल के बाद 14 अप्रैल , 2008 को बंगाली नव वर्ष पोइला बैशाख के अवसर पर कोलकाता से ढाका के लिए रेल सेवा शुरू की गई । भारत - पाक युद्ध के दौरान यह रेल सेवा बन्द कर दी गई थी । इसी बीच 1996 में कोलकाता व ढाका के बीच सीधी बस सेवा शुरू की गई थी ।
इस रेलगाड़ी की शुरुआत से दोनों देशों के बीच मधुर सम्बन्धों की प्रगाढ़ता बढ़ी तथा आपसी विवाद वाले मुद्दों को सुलझाने के लिए भी दोनों देशों ने संकल्प लिया और अपने सम्बन्र्यों को बेहतर बनाने की कोशिश की । ( V ) भारत - बांग्लादेश जल संधि का नवीनीकरण 2009 - भारत व बांग्लादेश के मध्य अन्तक्षेत्रीय जल परिवहन सम्बन्धी संधि का दो वर्ष के लिए पुनः23 - 24 मार्च 2009 को ढाका में । सम्पन्न बैठक में नवीनीकरण किया गया । 1972 में हस्ताक्षरित इस संधि का नवीनीकरण प्रत्यक दो वर्ष बाद किया जाता है । गए भार शेख हस् बांग्लादे लाभदाय भारत व जुड़े इस मार्च , 20 के लिए को लागू भारत । के अन्त समस्या तमिल र 18 सूत्र ( vi ) शेख हसीना की भारत यात्रा 2010 भारत - बांग्लादेश के आपसी सम्बन्धी के मघर बनाने के लिए ग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 10 जनवरी 2010 को चार दिवसाय भारत यात्रा पर आई ।
उनके साथ बहुआयामी 70 सदस्यीय शिष्टमण्डल भी भारत आया । इस यात्रा की पृष्ठभूमि सकारात्मक थी , क्योंकि बांग्लादेश ने वहाँ सक्रिय उल्फा आतंकवादियों का भारत को सपि दिया । उधर भारत ने शेख हसीना को इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया । इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य पाँच समझौते हुए । ये समझौते निम्न थे — ( 1 ) आपराधिक मामलों में वैधानिक मान्यता प्राप्त हो । ( 2 ) सजा प्राप्त कैदियों को एक - दूसरे को सपना ! ( 3 ) आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई को मजबूत करना । 4 ) संगठित अपरार्धा व नशीली दवाओं के व्यापार पर रोक लगाना । ( 50 विद्युत उत्पादन में सहयोग करने तथा सांस्कृतिक आदान - प्रदान । ( vii ) भारतीय प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा 2011 पारस्परिक हित के सभी क्षेत्रों में भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग जारी रखने के लिए 6 - 7 सितम्बर , 2011 को भारत के प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह ने बांग्लादेश की यात्रा की ।
इस यात्रा के दौरान भारत ने तीन बीघा क्षेत्र से दहाग्राम एवं अंगोर पोटा एन्क्लेवों तक बांग्लादेशी नागरिकों के लिए चौबीसों घंटों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने पर सहमति व्यक्त की तथा बांग्लादेश द्वारा किए गए अनुरोध के प्रत्युत्तर में 46 वस्त्र मदों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई । ( viii ) भारत - बांग्ला सम्वन्य 2013 - संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन में गए भारतीय प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह ने 29 सितम्बर 2013 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ बातचीत की । इस वार्ता में दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की । बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच प्रस्तावित जमीनी समझौते को दोनों देशों के लिए लाभदायक करार दिया और इसके विरोधियों से अपना यह विरोध समाप्त करने की अपील की । भारत व बांग्लादेश के बीच 4069 किमी . की सीमा पर बस्तियों व अवैध कब्ञों के समाधान से जुड़े इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच 160 क्षेत्रों के आदान - प्रदान का प्रस्ताव है ।
| ( ix ) भारतीय राष्ट्रपति की बांग्लादेश यात्रा 2013 - भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने मार्च , 2013 में बांग्लादेश की यात्रा की जिसमें उन्होंने तीस्ता नदी के जल के बंटवारे के समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की । साथ ही उन्होंने दोनों देशों के बीच भू - सीमा समझौते को लागू करने के प्रति प्रतिबद्धता अभिव्यक्त की । | इस तरह दोनों देश अपने सम्बन्धों को बेहतर बनाने के लिए कटिबद्ध हैं । भारत की श्रीलंका के प्रति विदेश नीति भारत एवं श्रीलंका के संबंध सदियों पुराने हैं । 1950 में निर्माणाधीन कोलम्बो योजना के अन्तर्गत दोनों देशों ने आर्थिक क्षेत्र में पूर्ण सहयोग किया है । दोनों देशों के मध्य मुख्य समस्या तमिल नागरिकों तथा अप्रवासी भारतीयों से संबंधित है ।
| भारत - श्रीलंका के मध्य तनाव का मुख्य मुद्दा तमिल समस्या है , जो 1982 में पनपी थी । तमिल समस्या के समाधान के लिए 29 जुलाई , 1987 को राजीव गाँधी और जयवर्द्धने के मध्य 18 सूत्री समझौता हुआ । इस समझौते के अनुसार भारत ने तमिलों की विद्रोही गतिविधियों के विरुद्ध श्रीलंका सरकार को सहयोग देने का वचन दिया । श्रीलंका के अनुरोध पर 1988 में भारत ने अपनी शांति सेना भेजी जिसके माध्यम से तमिलों के अग्रवादी संगठन लिट्टे की उग्रता को मजोर कर श्रीलंका की जातीय उग्रता को कम किया गया । भारत ने मार्च , 1990 में शांति सेना * श्रीलंका से वापस भारत बुला लिया तथा तमिलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राष्ट्रपति प्रेमदासा इलि दी
। परन्तु अभी भी तमिलों की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है तथा उनकी स्थिति में वास सुधार नहीं हुआ है । भारत ने तमिलों के संबंध में अभी तटस्थता का रास्ता अपनाया इसके अलावा भारत ने श्रीलंका के साथ 1998 में मुक्त व्यापार समझौता किया है । लका - गृहयुद्ध तथा भारत , 2007 - 08 - श्रीलंका में गृहयुद्ध दिन - पर - दिन तीखा होता इस बढ़ते गृहयुद्ध के साथ ही भारत की चिन्ता व दुविधा भी बढ़ती जा रही है ।वर्तमान भारत सरकार श्रीलंका के गृहयुद्ध के प्रश्न पर एक तर्कसंगत नीति पर चल रही । सरकार चाहती है कि गृहयुद्ध को रोक कर शान्ति स्थापित की जाए , तमिल समस्या का सैनिक नहा राजनीतिक समाधान खोजा जाए । यह समाधान श्रीलंका की राष्ट्रीय एकता के सिद्धा आधारित है ।
23 - 24 अप्रैल 2008 को उत्तरी जाफना में सेना तथा लिट्टे के मध्य भीषण टकर हुआ जिसमें लिट्टे के 100 सदस्य तथा सेना के 43 जवान मारे गए । संघर्ष में सफल होकर से ने जाफना क्षेत्र में लिट्टे पर दबाव बढ़ा दिया है । विडम्वना है कि श्रीलंका के दोनों ही तमिल पर भारत सरकार की नीति से असन्तुष्ट हैं तथा उसकी आलोचना करते हैं । एक पक्ष का आरोप यर है कि भारत सरकार तमिल नरसंहार ' को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही है तो दूसरा पक्ष आरोप लगाता है कि भारत सरकार श्रीलंका के आन्तरिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रही है । जबकि भारत के प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह श्रीलंका की क्षेत्रीय अखण्डता को लेकर चितित है । बहरहाल श्रीलंका में हालात नाजुक हैं । द्वीप राज्य में शान्ति और राजनीतिक स्थिरता भारत के हित में है । अतः भारत सरकार को दो विपरीत दिशाओं से होने वाली आलोचना पर ध्यान न देकर अपना हर कदम श्रीलंका और भारत के लिए सोच - समझकर उठाना है ।
। श्रीलंका संसदीय चुनावों में महिंदा राजपक्षे पुनर्निर्वाचित , 2010 - श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए 26 जनवरी , 2010 को सम्पन्न चुनाव में निवर्तमान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे फिर से निर्वाचित हुए हैं । नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने भारत के साथ सम्बन्धों को बेहतर बनाने पर जोर दिया । श्रीलंका में लिट्टे के सफाए से मिली शाबासी का लाभ उठाने के लिए निवर्तमान राष्ट्रपति राजपक्षे ने समय से दो वर्ष पूर्व ही यह चुनाव कराए थे । लिट्टे के सफाए में मुख्य भूमिका सेना की बताते हुए तत्कालीन सैन्य प्रमुख फोन्सेका भी इसी लाभ के दावेदार थे । दोनों ही प्रत्याशियों द्वारा एक - दूसरे के विरुद्ध आग उगलने के कारण यह चुनाव काफी कटुतापूर्ण हो गया था । राष्ट्रपति पद के लिए चुनावों के बाद संसदीय चुनाव भी श्रीलंका में 8 अप्रैल , 2010 को कराए गए हैं ।
इन चुनावों में भी भारी बहुमत राजपक्षे के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को प्राप्त हुआ है जिसने भी भारत के साथ मधुर सम्बन्ध बनाने पर बल दिया है । । भारत और श्रीलंका के मध्य फेरी और नौका सेवा फिर से शुरू – भारत और श्रीलंका के बीच फेरी और नौका सेवा 15 जून , 2011 से पुनः शुरू हो गई । उत्तरी श्रीलंका में जातीय हिंसा के कारण 1983 के बाद नौका सेवाएँ बन्द की गई थी । । प्रमुख बात यह है कि यह नौका सेवा वर्ष 2010 में प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह और श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे की संयुक्त घोषणा का परिणाम है । इससे दोनों देशों की जनता को यात्रा के लिए एक और सस्ता विकल्प मिल गया । यह एक सार्थक प्रयास है जो दोनों देशों के सम्बन्धों पर निर्भर करता है ।
श्रीलंकाई राष्ट्रपति की भारत यात्रा , 2012 - 21 सितम्बर , 2012 को श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री महिन्द्रा राजपक्षे ने सांची , मध्यप्रदेश में सांची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के शिलान्यास हेतु भारत की यात्रा की । समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका की पारम्परिक शिक्षा भारतीय ज्ञान परम्पराओं से उद्भूत है । श्रीलंका के लोग , सरकार । और में स्वयं सांची बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की सफलता हेतु अपना योगदान जारी रगे । जिससे दोनों देशों के सम्बन्ध मधुर रहेंगे । श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय मानवीय मूल्यों की स्थापना में सहायक सिद्ध होगा । श्रीलंका से नेपाल । सन्धि हु अक्टूबर 1961 रही । आश्वास लिए प्रः परियोज इत्यादि तकनीक आगे ब को रेल वो पी . के प्रधा समीक्षा नेपाल । 28 मई संघीय में चार लम्बी । किए ।
लाए वट वृक्ष के एक पौधे को भी उन्होंने वहाँ आरोपित किया । श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ आर्थिक एवं वाणिज्यिक सम्बन्धों के विस्तार हेतु चर्चा भी की ।भारत - श्रीलंका सम्बन्ध , 2013 - भारत सरकार , श्रीलंका सरकार की तमिलों के प्रति बेरुखी से नाराज थी । अमेरिका ने जब श्रीलंकाई तमिलों को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने में विलम्व करने के कारण मार्च , 2013 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में प्रस्ताव रखा तो भारत ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं किया क्योंकि श्रीलंकाई तमिलों को राजनीतिक अधिकार न मिलने से तमिलनाडु का जनमत उद्वेलित था । । | मानवाधिकार परिषद् में भारत ने श्रीलंका के पक्ष में मतदान किया 2014 - मार्च , 2014 में भारत सहित 11 अन्य देशों ने जिनेवा में 47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् की वार्षिक बैठक में श्रीलंका के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया जबकि रूस , चीन एवं पाकिस्तान सहित 12 अन्य देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया । भारत के इस कदम को श्रीलंका के साथ सम्बन्ध सुधारने के तौर पर देखा जा रहा है
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