Thursday, June 27, 2019

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष का कारण

प्राचीन समय से ही भारत शांतिपूर्ण सह - अस्तित्व में विश्वास करता आया है । भारत पूरे विश्व में शांति बनाए रखने के लिए समय - समय पर प्रयास करता रहा है तथा कर रहा है । भारत अपने निकटतम पड़ौसी देशों विशेषकर पाकिस्तान , चीन , श्रीलंका , बाँग्लादेश , भूटान , नेपाल इत्यादि के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों में विश्वास करता है । भारत अन्य पड़ौसी देशों जैसे ईरान , इराक , मलेशिया , इण्डोनेशिया के साथ भी अच्छे मित्र की तरह व्यवहार करता रहा है । समय - समय पर भारत सरकार ने पड़ौसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए कई गंभीर प्रयास किए हैं तथा कई संगठनों की सदस्यता ग्रहण की है जिसके माध्यम से पड़ौसी देशों के साथ मधुर संबंध बनाने में मदद मिली है । जैसे — भारत सार्क ( SAARC ) का प्रमुख संस्थापक सदस्य है । इसके अलावा भारत आशियान संगठन ( ASEAN ) की बैठकों में भी भाग ले रहा है ।

निकटतम पड़ौसी देश पाकिस्तान के प्रति भारत की विदेश नीति भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति ( 15 अगस्त , 1947 ) के पश्चात् भारत और पाकि राष्ट्र का निर्माण हुआ । स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य , हैदराबाद और कश्मीर की देशी रियासतों के प्रश्न पर विवाद हुए , जिनमें से कश्मीर अभी तक दोनों देशों के मध्य बनी हुई है । भारत - पाकिस्तान के मध्य कछ प्रारंभिक समस्या ( 1 ) नहर पानी विवाद - पंजाब के विभाजन ( भारत व पाकिस्तान के मध्य ) के । पंजाब में बहने वाली पाँच नदिय – सतलज , रावी , व्यास , चिनाब और झेलम , के पानी का दिन भी सामने उभरकर आया । विभाजन के पश्चात् भारत के पास इनमें से कुछ नदियों के प्रयास आ गए ।

 अतः पाकिस्तान को यह आशंका हो गई कि भारत जब चाहे पानी बंद करके उस जनता को भूखों मार सकता है । इसका समाधान सिन्धु - जल सन्धि के माध्यम से हुआ , जिसको 12 जनवरी , 1961 से लागू किया गया । ( i ) शरणार्थियों का प्रम - विभाजन के बाद काफी संख्या में हिन्दू भारत में शरणा बनकर आए तथा आज भी कभी - कभी कुछ हिन्दू पाकिस्तान छोड़कर ( अत्याचार के जुला के कारण ) भारत आ रहे हैं । भारत ने इसकी एवज में कई बार पाकिस्तान से भी क्षतिपूर्ति माँगी । परंतु पाकिस्तान इस पर कोई ध्यान नहीं देता है । | ( Ill ) हैदरावाद विवाद - भौगोलिक दृष्टि से हैदराबाद भारत में ही था । परन्तु हैदराबाद के निजाम को उकसाकर पाकिस्तान उसको भारत से अलग करना चाहता था । भारत ने सैनिक कार्यवाही करके हैदराबाद रियासत को भारत में मिला लिया । । भारत - पाकिस्तान के मध्य प्रमुख समस्या : कश्मीर विवाद – भारत - पाकिस्तान के मध्य कश्मीर विवाद का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है । यह विवाद विभाजन के पश्चात् से ही चल रहा है । 22 अक्टूबर , 1947 को अनेक पाकिस्तानियों तथा कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया ।

 26 अक्टूबर , 1947 को कश्मीर के शासक ( जो हिन्दू था ) ने भारत से सैनिक सहायता माँगी । भारत ने तत्पश्चात् अपनी सेनाएँ कश्मीर भेज दी तथा युद्ध समाप्ति पर जनमत संग्रह की शर्त के साथ कश्मीर को भारत का अंग मान लिया गया । इस समय भारत की सेनाओं ने तथाकथित पाकिस्तान घुसपैठियों को कश्मीर से निकाल बाहर किया , किन्तु पूरे कश्मीर को पुसपैठियों से मुक्त करवाने के पहले ही भारत कश्मीर की समस्या को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गया । दोनों पक्षों की संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ वार्ता के बाद 1 जनवरी , 1949 को युद्ध विराम हो गया । युद्ध - विराम हो जाने पर पाकिस्तान के पास कश्मीर का 32 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आ गया , जिसे पाकिस्तान ने ' आजाद कश्मीर ' कहा , जबकि हम इसे पाकिस्तान के नियंत्रण ( Pakistan Occupied Kashmir ) का क्षेत्र कहते हैं ।

 युद्धविराम रेखा के इस पार भारत के अधिकार में 53 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आया । तब से लेकर आज तक कश्मीर का प्रश्न मारत तथा पाकिस्तान के मध्य विवाद का एक मुख्य प्रश्न बना हुआ है । पाकिस्तान आंतकवादियों को सैन्य प्रशिक्षण देकर भारत भेज रहा है तथा खासकर कशमीर में आंतककारी गतिविधियों के माध्यम से दहशत तथा अस्थिरता का माहौल बनाने में लगा हुआ है । भारत - पाकिस्तान के संबंध को प्रभावित करने वाले अन्य कारण ( 1 ) भारत - पाकिस्तान युद्ध ( 1971 ) - याह्या खां ने पूर्वी पाकिस्तान ( बाँग्लादेश ) पर अत्याचार किए , जिसके परिणामस्वरूप बाँग्लादेश के शेख मुजीब ने स्वायत्तता का आंदोलननिकटतम पड़ौसी देश पाकिस्तान के प्रति भारत की विदेश नीति भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति ( 15 अगस्त , 1947 ) के पश्चात् भारत और पाकि राष्ट्र का निर्माण हुआ । स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य , हैदराबाद और कश्मीर की देशी रियासतों के प्रश्न पर विवाद हुए ,

 जिनमें से कश्मीर अभी तक दोनों देशों के मध्य बनी हुई है । भारत - पाकिस्तान के मध्य कछ प्रारंभिक समस्या ( 1 ) नहर पानी विवाद - पंजाब के विभाजन ( भारत व पाकिस्तान के मध्य ) के । पंजाब में बहने वाली पाँच नदिय – सतलज , रावी , व्यास , चिनाब और झेलम , के पानी का दिन भी सामने उभरकर आया । विभाजन के पश्चात् भारत के पास इनमें से कुछ नदियों के प्रयास आ गए । अतः पाकिस्तान को यह आशंका हो गई कि भारत जब चाहे पानी बंद करके उस जनता को भूखों मार सकता है । इसका समाधान सिन्धु - जल सन्धि के माध्यम से हुआ , जिसको 12 जनवरी , 1961 से लागू किया गया । ( i ) शरणार्थियों का प्रम - विभाजन के बाद काफी संख्या में हिन्दू भारत में शरणा बनकर आए तथा आज भी कभी - कभी कुछ हिन्दू पाकिस्तान छोड़कर ( अत्याचार के जुला के कारण ) भारत आ रहे हैं । भारत ने इसकी एवज में कई बार पाकिस्तान से भी क्षतिपूर्ति माँगी । परंतु पाकिस्तान इस पर कोई ध्यान नहीं देता है । |

( Ill ) हैदरावाद विवाद - भौगोलिक दृष्टि से हैदराबाद भारत में ही था । परन्तु हैदराबाद के निजाम को उकसाकर पाकिस्तान उसको भारत से अलग करना चाहता था । भारत ने सैनिक कार्यवाही करके हैदराबाद रियासत को भारत में मिला लिया । । भारत - पाकिस्तान के मध्य प्रमुख समस्या : कश्मीर विवाद – भारत - पाकिस्तान के मध्य कश्मीर विवाद का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है । यह विवाद विभाजन के पश्चात् से ही चल रहा है । 22 अक्टूबर , 1947 को अनेक पाकिस्तानियों तथा कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया । 26 अक्टूबर , 1947 को कश्मीर के शासक ( जो हिन्दू था ) ने भारत से सैनिक सहायता माँगी । भारत ने तत्पश्चात् अपनी सेनाएँ कश्मीर भेज दी तथा युद्ध समाप्ति पर जनमत संग्रह की शर्त के साथ कश्मीर को भारत का अंग मान लिया गया ।

इस समय भारत की सेनाओं ने तथाकथित पाकिस्तान घुसपैठियों को कश्मीर से निकाल बाहर किया , किन्तु पूरे कश्मीर को पुसपैठियों से मुक्त करवाने के पहले ही भारत कश्मीर की समस्या को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गया । दोनों पक्षों की संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ वार्ता के बाद 1 जनवरी , 1949 को युद्ध विराम हो गया । युद्ध - विराम हो जाने पर पाकिस्तान के पास कश्मीर का 32 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आ गया , जिसे पाकिस्तान ने ' आजाद कश्मीर ' कहा , जबकि हम इसे पाकिस्तान के नियंत्रण ( Pakistan Occupied Kashmir ) का क्षेत्र कहते हैं । युद्धविराम रेखा के इस पार भारत के अधिकार में 53 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आया । तब से लेकर आज तक कश्मीर का प्रश्न मारत तथा पाकिस्तान के मध्य विवाद का एक मुख्य प्रश्न बना हुआ है । पाकिस्तान आंतकवादियों को सैन्य प्रशिक्षण देकर भारत भेज रहा है तथा खासकर कशमीर में आंतककारी गतिविधियों के माध्यम से दहशत तथा अस्थिरता का माहौल बनाने में लगा हुआ है ।

 भारत - पाकिस्तान के संबंध को प्रभावित करने वाले अन्य कारण ( 1 ) भारत - पाकिस्तान युद्ध ( 1971 ) - याह्या खां ने पूर्वी पाकिस्तान ( बाँग्लादेश ) पर अत्याचार किए , जिसके परिणामस्वरूप बाँग्लादेश के शेख मुजीब ने स्वायत्तता का आंदोलननिकटतम पड़ौसी देश पाकिस्तान के प्रति भारत की विदेश नीति भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति ( 15 अगस्त , 1947 ) के पश्चात् भारत और पाकि राष्ट्र का निर्माण हुआ । स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य , हैदराबाद और कश्मीर की देशी रियासतों के प्रश्न पर विवाद हुए , जिनमें से कश्मीर अभी तक दोनों देशों के मध्य बनी हुई है ।

 भारत - पाकिस्तान के मध्य कछ प्रारंभिक समस्या ( 1 ) नहर पानी विवाद - पंजाब के विभाजन ( भारत व पाकिस्तान के मध्य ) के । पंजाब में बहने वाली पाँच नदिय – सतलज , रावी , व्यास , चिनाब और झेलम , के पानी का दिन भी सामने उभरकर आया । विभाजन के पश्चात् भारत के पास इनमें से कुछ नदियों के प्रयास आ गए । अतः पाकिस्तान को यह आशंका हो गई कि भारत जब चाहे पानी बंद करके उस जनता को भूखों मार सकता है । इसका समाधान सिन्धु - जल सन्धि के माध्यम से हुआ , जिसको 12 जनवरी , 1961 से लागू किया गया । ( i ) शरणार्थियों का प्रम - विभाजन के बाद काफी संख्या में हिन्दू भारत में शरणा बनकर आए तथा आज भी कभी - कभी कुछ हिन्दू पाकिस्तान छोड़कर ( अत्याचार के जुला के कारण ) भारत आ रहे हैं ।

भारत ने इसकी एवज में कई बार पाकिस्तान से भी क्षतिपूर्ति माँगी । परंतु पाकिस्तान इस पर कोई ध्यान नहीं देता है । | ( Ill ) हैदरावाद विवाद - भौगोलिक दृष्टि से हैदराबाद भारत में ही था । परन्तु हैदराबाद के निजाम को उकसाकर पाकिस्तान उसको भारत से अलग करना चाहता था । भारत ने सैनिक कार्यवाही करके हैदराबाद रियासत को भारत में मिला लिया । । भारत - पाकिस्तान के मध्य प्रमुख समस्या : कश्मीर विवाद – भारत - पाकिस्तान के मध्य कश्मीर विवाद का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है । यह विवाद विभाजन के पश्चात् से ही चल रहा है । 22 अक्टूबर , 1947 को अनेक पाकिस्तानियों तथा कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया ।

 26 अक्टूबर , 1947 को कश्मीर के शासक ( जो हिन्दू था ) ने भारत से सैनिक सहायता माँगी । भारत ने तत्पश्चात् अपनी सेनाएँ कश्मीर भेज दी तथा युद्ध समाप्ति पर जनमत संग्रह की शर्त के साथ कश्मीर को भारत का अंग मान लिया गया । इस समय भारत की सेनाओं ने तथाकथित पाकिस्तान घुसपैठियों को कश्मीर से निकाल बाहर किया , किन्तु पूरे कश्मीर को पुसपैठियों से मुक्त करवाने के पहले ही भारत कश्मीर की समस्या को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गया । दोनों पक्षों की संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ वार्ता के बाद 1 जनवरी , 1949 को युद्ध विराम हो गया । युद्ध - विराम हो जाने पर पाकिस्तान के पास कश्मीर का 32 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आ गया , जिसे पाकिस्तान ने ' आजाद कश्मीर ' कहा , जबकि हम इसे पाकिस्तान के नियंत्रण ( Pakistan Occupied Kashmir ) का क्षेत्र कहते हैं । युद्धविराम रेखा के इस पार भारत के अधिकार में 53 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आया । तब से लेकर आज तक कश्मीर का प्रश्न मारत तथा पाकिस्तान के मध्य विवाद का एक मुख्य प्रश्न बना हुआ है ।

 पाकिस्तान आंतकवादियों को सैन्य प्रशिक्षण देकर भारत भेज रहा है तथा खासकर कशमीर में आंतककारी गतिविधियों के माध्यम से दहशत तथा अस्थिरता का माहौल बनाने में लगा हुआ है । भारत - पाकिस्तान के संबंध को प्रभावित करने वाले अन्य कारण ( 1 ) भारत - पाकिस्तान युद्ध ( 1971 ) - याह्या खां ने पूर्वी पाकिस्तान ( बाँग्लादेश ) पर अत्याचार किए , जिसके परिणामस्वरूप बाँग्लादेश के शेख मुजीब ने स्वायत्तता का आंदोलननिकटतम पड़ौसी देश पाकिस्तान के प्रति भारत की विदेश नीति भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति ( 15 अगस्त , 1947 ) के पश्चात् भारत और पाकि राष्ट्र का निर्माण हुआ । स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य , हैदराबाद और कश्मीर की देशी रियासतों के प्रश्न पर विवाद हुए ,

 जिनमें से कश्मीर अभी तक दोनों देशों के मध्य बनी हुई है । भारत - पाकिस्तान के मध्य कछ प्रारंभिक समस्या ( 1 ) नहर पानी विवाद - पंजाब के विभाजन ( भारत व पाकिस्तान के मध्य ) के । पंजाब में बहने वाली पाँच नदिय – सतलज , रावी , व्यास , चिनाब और झेलम , के पानी का दिन भी सामने उभरकर आया । विभाजन के पश्चात् भारत के पास इनमें से कुछ नदियों के प्रयास आ गए । अतः पाकिस्तान को यह आशंका हो गई कि भारत जब चाहे पानी बंद करके उस जनता को भूखों मार सकता है । इसका समाधान सिन्धु - जल सन्धि के माध्यम से हुआ , जिसको 12 जनवरी , 1961 से लागू किया गया । ( i ) शरणार्थियों का प्रम - विभाजन के बाद काफी संख्या में हिन्दू भारत में शरणा बनकर आए तथा आज भी कभी - कभी कुछ हिन्दू पाकिस्तान छोड़कर ( अत्याचार के जुला के कारण ) भारत आ रहे हैं ।

 भारत ने इसकी एवज में कई बार पाकिस्तान से भी क्षतिपूर्ति माँगी । परंतु पाकिस्तान इस पर कोई ध्यान नहीं देता है । | ( Ill ) हैदरावाद विवाद - भौगोलिक दृष्टि से हैदराबाद भारत में ही था । परन्तु हैदराबाद के निजाम को उकसाकर पाकिस्तान उसको भारत से अलग करना चाहता था । भारत ने सैनिक कार्यवाही करके हैदराबाद रियासत को भारत में मिला लिया । । भारत - पाकिस्तान के मध्य प्रमुख समस्या : कश्मीर विवाद – भारत - पाकिस्तान के मध्य कश्मीर विवाद का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है । यह विवाद विभाजन के पश्चात् से ही चल रहा है । 22 अक्टूबर , 1947 को अनेक पाकिस्तानियों तथा कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया । 26 अक्टूबर , 1947 को कश्मीर के शासक ( जो हिन्दू था ) ने भारत से सैनिक सहायता माँगी । भारत ने तत्पश्चात् अपनी सेनाएँ कश्मीर भेज दी तथा युद्ध समाप्ति पर जनमत संग्रह की शर्त के साथ कश्मीर को भारत का अंग मान लिया गया ।

इस समय भारत की सेनाओं ने तथाकथित पाकिस्तान घुसपैठियों को कश्मीर से निकाल बाहर किया , किन्तु पूरे कश्मीर को पुसपैठियों से मुक्त करवाने के पहले ही भारत कश्मीर की समस्या को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गया । दोनों पक्षों की संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ वार्ता के बाद 1 जनवरी , 1949 को युद्ध विराम हो गया । युद्ध - विराम हो जाने पर पाकिस्तान के पास कश्मीर का 32 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आ गया , जिसे पाकिस्तान ने ' आजाद कश्मीर ' कहा , जबकि हम इसे पाकिस्तान के नियंत्रण ( Pakistan Occupied Kashmir ) का क्षेत्र कहते हैं । युद्धविराम रेखा के इस पार भारत के अधिकार में 53 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आया । तब से लेकर आज तक कश्मीर का प्रश्न मारत तथा पाकिस्तान के मध्य विवाद का एक मुख्य प्रश्न बना हुआ है । पाकिस्तान आंतकवादियों को सैन्य प्रशिक्षण देकर भारत भेज रहा है तथा खासकर कशमीर में आंतककारी गतिविधियों के माध्यम से दहशत तथा अस्थिरता का माहौल बनाने में लगा हुआ है ।

 भारत - पाकिस्तान के संबंध को प्रभावित करने वाले अन्य कारण ( 1 ) भारत - पाकिस्तान युद्ध ( 1971 ) - याह्या खां ने पूर्वी पाकिस्तान ( बाँग्लादेश ) पर अत्याचार किए , जिसके परिणामस्वरूप बाँग्लादेश के शेख मुजीब ने स्वायत्तता का आंदोलननिकटतम पड़ौसी देश पाकिस्तान के प्रति भारत की विदेश नीति भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति ( 15 अगस्त , 1947 ) के पश्चात् भारत और पाकि राष्ट्र का निर्माण हुआ । स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य , हैदराबाद और कश्मीर की देशी रियासतों के प्रश्न पर विवाद हुए , जिनमें से कश्मीर अभी तक दोनों देशों के मध्य बनी हुई है । भारत - पाकिस्तान के मध्य कछ प्रारंभिक समस्या ( 1 ) नहर पानी विवाद - पंजाब के विभाजन ( भारत व पाकिस्तान के मध्य ) के । पंजाब में बहने वाली पाँच नदिय – सतलज , रावी , व्यास , चिनाब और झेलम , के पानी का दिन भी सामने उभरकर आया । विभाजन के पश्चात् भारत के पास इनमें से कुछ नदियों के प्रयास आ गए ।

अतः पाकिस्तान को यह आशंका हो गई कि भारत जब चाहे पानी बंद करके उस जनता को भूखों मार सकता है । इसका समाधान सिन्धु - जल सन्धि के माध्यम से हुआ , जिसको 12 जनवरी , 1961 से लागू किया गया । ( i ) शरणार्थियों का प्रम - विभाजन के बाद काफी संख्या में हिन्दू भारत में शरणा बनकर आए तथा आज भी कभी - कभी कुछ हिन्दू पाकिस्तान छोड़कर ( अत्याचार के जुला के कारण ) भारत आ रहे हैं । भारत ने इसकी एवज में कई बार पाकिस्तान से भी क्षतिपूर्ति माँगी । परंतु पाकिस्तान इस पर कोई ध्यान नहीं देता है । | ( Ill ) हैदरावाद विवाद - भौगोलिक दृष्टि से हैदराबाद भारत में ही था । परन्तु हैदराबाद के निजाम को उकसाकर पाकिस्तान उसको भारत से अलग करना चाहता था । भारत ने सैनिक कार्यवाही करके हैदराबाद रियासत को भारत में मिला लिया । । भारत - पाकिस्तान के मध्य प्रमुख समस्या : कश्मीर विवाद – भारत - पाकिस्तान के मध्य कश्मीर विवाद का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है । यह विवाद विभाजन के पश्चात् से ही चल रहा है ।

 22 अक्टूबर , 1947 को अनेक पाकिस्तानियों तथा कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया । 26 अक्टूबर , 1947 को कश्मीर के शासक ( जो हिन्दू था ) ने भारत से सैनिक सहायता माँगी । भारत ने तत्पश्चात् अपनी सेनाएँ कश्मीर भेज दी तथा युद्ध समाप्ति पर जनमत संग्रह की शर्त के साथ कश्मीर को भारत का अंग मान लिया गया । इस समय भारत की सेनाओं ने तथाकथित पाकिस्तान घुसपैठियों को कश्मीर से निकाल बाहर किया , किन्तु पूरे कश्मीर को पुसपैठियों से मुक्त करवाने के पहले ही भारत कश्मीर की समस्या को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गया ।

 दोनों पक्षों की संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ वार्ता के बाद 1 जनवरी , 1949 को युद्ध विराम हो गया । युद्ध - विराम हो जाने पर पाकिस्तान के पास कश्मीर का 32 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आ गया , जिसे पाकिस्तान ने ' आजाद कश्मीर ' कहा , जबकि हम इसे पाकिस्तान के नियंत्रण ( Pakistan Occupied Kashmir ) का क्षेत्र कहते हैं । युद्धविराम रेखा के इस पार भारत के अधिकार में 53 , 000 वर्गमील क्षेत्रफल आया । तब से लेकर आज तक कश्मीर का प्रश्न मारत तथा पाकिस्तान के मध्य विवाद का एक मुख्य प्रश्न बना हुआ है । पाकिस्तान आंतकवादियों को सैन्य प्रशिक्षण देकर भारत भेज रहा है तथा खासकर कशमीर में आंतककारी गतिविधियों के माध्यम से दहशत तथा अस्थिरता का माहौल बनाने में लगा हुआ है ।

 भारत - पाकिस्तान के संबंध को प्रभावित करने वाले अन्य कारण ( 1 ) भारत - पाकिस्तान युद्ध ( 1971 ) - याह्या खां ने पूर्वी पाकिस्तान ( बाँग्लादेश ) पर अत्याचार किए , जिसके परिणामस्वरूप बाँग्लादेश के शेख मुजीब ने स्वायत्तता का आंदोलनचलाया। 10 हजार बाँग्ला शरणार्थी प्रतिदिन भारत आने लगे । मायर , 1971 को पाकिस्तानी वायुयानों ने भारत के कुछ हवाई क्षेत्र पर बमबारी की । शबर , 1971 को भारत ने जवाबी हमला किया ।

16 दिसम्बर , 1971 को दारा में पाकिस्तान जनरल बिगा ने भारत के ले . जनरल जीत सिंह अरोह के सम्मुख अगसमर्पण कर दिया । इसके बाद भारत - पाकिस्तान के मध्य शिमला समझौता | ( ) कारगिल संपm ( 194 ) ) ) - भारत तथा पाकिस्तान ने ' लाहौर घोषणा - पत्र ' पर । । फरवरी , 199 ) में हस्ताक्षर किए ताकि दोनों देशों के मध्य नजदीकी संबंध बने , परंतु पाकिस्तान ने पोषणा - पत्र तथा अन्य समझौतों की परवाह न करते हुए मार्च , 1999 में कारगिल में छा रूप से सैनिक पुसपैठ की , जिसका परिणाम ' कारगिल संघर्ष ' के रूप में सामने आया । भारत ने संयम बरतते हुए अपनी सीमा में रहते हुए ही पाकिस्तानी सैनिकों की घुसपैठ को दूर किया । संबंधों की दिशा में नवीन प्रयास | 1 . आगरा वार्ता ( 2001 ) - भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निमंत्रण पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भारत आए तथा दोनों देशों के मध्य 15 - 16 जुलाई , 2001 को आगरा में वार्ता हुई

, लेकिन पाकिस्तानी पक्ष द्वारा कश्मीर मुद्दे पर अड़ जाने तथा आतंकवाद को जारी रखने की उसकी नीति के कारण यह शिखर वार्ता असफल हो गई । । 2 . इस्लामाबाद वार्ता ( 2001 ) - भारतीय संसद पर दिसम्बर , 2001 में आतंकवादी हमले के बाद भारत तथा पाकिस्तान के आपसी जिनयिक सम्बन्ध बिल्कुल टूट गए थे । लेकिन भारत - पाकिस्तान के मध्य ये सम्बन्ध फिर से बहाल हो गए हैं । नई दिल्ली - लाहौर के मध्य फिर से बस सेवा प्रारम्भ हो गई है । पाकिस्तान ने भी अपनी तरफ से पहल करके जनवरी , 2001 में भारत - पाक सीमा पर शांति के लिए गोलीबारी पर विराम लगा कर सम्बन्धों को मजबूत बनाने की दिशा में कदम उठाकर अपने सकारात्मक रुख का परिचय दिया ।

सार्क शिखर सम्मेलन ( 4 - 6 जनवरी , 2004 ) में भाग लेने गए तत्कालीन भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ < DIYO PD ) 2 न के चाद नक पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुशर्रफ ने वार्ता करके सम्बन्धों को सामान्य बनाने की दिशा में एक और ठोस कदम उठाया है । भारत पाकिस्तान के मध्य प्रत्यर्पण संधि होने की भी आशा है । इससे दोनों देशों को आतंकवाद से राहत मिल सकेगी । भारत - पाकिस्तान के सम्बन्ध सामान्य होने की दिशा में तात्कालिक मुद्दा आतंकवाद ही है । | 3 . क्रिकेट कूटनीति और दिल्ली मुशर्रफ यात्रा 2005 - 16 से 18 अप्रैल , 2005 को क्रिकेट के बहाने भारत यात्रा पर आए पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और भारतीय प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह के बीच कुछ ऐसे ठोस मुद्दों पर प्रगति हुई जिन पर पहले दोनों देशों ने अड़ियल रुख अपना रखा था । ये मुद्दे निम्नलिखित थे - -

 | जम्मू - कश्मीर – पाकिस्तान सीमा पर बंदिशों में ढील देने और श्रीनगर - मुजफ्फराबाद बस सेवा के फेरे बढ़ाने पर सहमत । । आतंकवाद - पाकिस्तान ने कहा कि आतंकवाद को शांति - प्रक्रिया में बाधा नहीं बनने देंगे । । व्यापार संयुक्त आर्थिक आयोग गठित करने पर सहमति , संयुक्त व्यापार परिषद की जल्द बैठक । । । खोखरापार - मुनाबाओ रेल सम्पर्क - इससे राजस्थान और सिंध एक - दूसरे से जुड़ जाएँगे । मुशर्रफ ने वादा किया कि दिसम्बर , 2005 तक यह योजना पूरी हो जाएगी सियाचिन दोनों नेता विश्व के इस सबसे ऊँचे समरक्षेत्र के मुद्दे को जल्दी सुलझाने पर सहमत । 4 . भारत - पाक वार्ता का दौर , 2010 - अमरीका अफगानिस्तान में अफ - पाक नीति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान का सक्रिय सहयोग प्राप्त करने हेतु भारत पर पाकिस्तान से वार्ता आरम्भ करने का अप्रत्यक्ष दबाव डालता रहा है ।

 भारत ने भी अपनी शर्तों पर पाकिस्तान से पुनः बातचीत करने का फैसला किया । जून , 2010 में दोनों देशों की विदेश सचिव स्तर की । वार्ता हुई तथा जुलाई , 2010 में विदेश मंत्रियों की वार्ता हुई । इसके पहले दोनों देशों के प्रधानमंत्री जुलाई , 2009 में मिस्र में तथा अप्रैल , 2010 में सार्क सम्मेलन के दौरान थिम्पू में एक - दूसरे से अनौपचारिक रूप से मिल चुके थे । जून , 2010 के प्रथम सप्ताह में दोनों देशों ने सिन्धु - जलसंधि , 1960 के अन्तर्गत ऊरी और चुटक एवं बगलीहार जलविद्युत परियोजनाओं के सम्बन्ध में आपसी मतभेदों को निपटा लिया है । सितम्बर , 2010 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की मुलाकात से सम्बन्धों में बदलाव आया है ।

 । 5 . भारत - पाकिस्तान के बीच उदार वीजा - समझौता , 2012 - दोनों देशों के बीच उदार वीजा - समझौता , 2012 सम्बन्धों की दिशा में एक नया प्रयास है । भारतीय विदेश मंत्री एस . एम . कृष्णा ने 9 - 11 सितम्बर , 2012 को इस्लामाबाद की अपनी तीन दिवसीय पाकिस्तान यात्रा को ‘ लाभदायक ' बताया । विदेश मंत्री ने उदार वीजा नियमों और सांस्कृतिक आदान - प्रदान के समझौतों पर हस्ताक्षर किए । यह समझौता 38 वर्ष पुराने प्रतिबंधात्मक वीजा समझौते का स्थान लेगा । इस समझौते के तहत लोग आवाजाही के लिए अलग - अलग रास्तों और परिवहन के साधनों का उपयोग कर सकेंगे । इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय सम्बन्धों को विकसित करने में सहायता मिलेगी ।

 7 . भारत - पाक सम्बन्ध , 2013 - 28 सितम्बर , 2013 को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने सम्बोधन में भारतीय प्रधानमंत्री डॉ . मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाते हुए उसे अपने सीमा क्षेत्र से आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहन देना बन्द करने १ । कहा तथा साथ ही जम्मू - कश्मीर को देश का अविभाज्य अंग बताते हुए स्पष्ट किया कि भारत कभी भी अपनी सीमा की अखण्डता के साथ समझौता नहीं करेगा । इससे एक दिन पहले पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने महासभा में अपने सम्बोधन में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए इस समस्या का समाधान सुरक्षा परिषद् के प्रस्तावों के तहत करने की माँग उठाई लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि शिमला समझौते के तहत द्विपक्षीय वातचीत के जरिए सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत पूरी तरह प्रतिबद्ध है तथा इसमें जम्मू - कश्मीर का मुद्दा भी । शामिल है ।

| इसके अलावा दोनों देशों के नेता नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं को रोकने हेतु सहमत हुए तथा सुधार एवं बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए राजी हुए । आतंकवाद पर अंकुश रखने के लिए दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने आश्वासन दिया । 8 . 28 सितम्बर , 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाक प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया । उद्बोधन पुनः 29 सितम्बर , 2014 को पाक ने फिर से दिया तथा कश्मीर - कश्मीर का राग बार - बार अलापता रहा , लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दो टूक जवाब देकर पाक का मुंह तोड़ दिया । । 9 . भारत - पाक सम्वन्य 2014 - भारत और पाकिस्तान के सम्बन्धों को एक नई दिशा । भारत के नवनियुक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई , 2014 को अपने शपथ ग्रहण समारोहमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाकर दी ।

 अगस्त , 2014 से पड़ोसी देश भाकिस्तान लोकतंत्र के एक नए इम्तिहान के दौर से गुजर रहा है । पाक तहरीक - ए - इंसाफ पार्टी के व इमरान खान एवं पाकिस्तानी अवामी तहरीक पार्टी के प्रमुख ताहिर - उल - कादरी दोनों ने वाज सरकार के सामने संकट पैदा कर रखा है तथा संसद के बाहर धरना देकर निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार को चुनौती दे रखी है । भारत - पाक सचिव स्तरीय वार्ता 25 अगस्त , 2014 को होने वाली थी लेकिन पाकिस्तान ने इससे पहले ही सीमा का उल्लंघ ' करके वार्ता को कठघरे में डाल दिया । तब तैश में आकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वार्ता रद्द कर डाली । इससे दोनों देशों में राजनीतिक हलचल गरमा गई । लेकिन नए पाकिस्तानी गृहक्लेश घटनाक्रम के बाद ऐसी हालत में 5 अगस्त , 2014 को राजनीतिक संकट से जूझ रहे पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत से रिश्तों में कड़वाहट कम करने की कोशिश की है ।

 भारत के वार्ता रद्द करने के बाद नवाज ने पड़ोसी से रिश्तों में मिठास लाने और बातचीत का सिलसिला फिर शुरू करने के लिए भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी , प्रणव मुखर्जी ( राष्ट्रपति ) , हामिद अंसारी ( उप - राष्ट्रपति ) , सुषमा स्वराज ( विदेश मंत्री ) को आम भेजे हैं । इस कदम से नवाज शरीफ संदेश देना चाहते हैं कि वे भारत के साथ सम्बन्धों में सुधार लाना चाहते हैं । | B 2 नवम्बर , 2014 को पाकिस्तान द्वारा फिर से वाघा बार्डर पर विस्फोट करके सीमा के लोगों को आतंकित किया है जो उनके सम्बन्धों को खराब करता है । भारत - पाकिस्तान सीमा पर स्थित वाघा चौकी पर बीटिंग रिट्रीट के समय पाकिस्तान की सीमा में हुए फिदायीन हमले में साठ से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए । इस तरह की हरकतें दोनों देशों में मनमुटाव बनाए रखती हैं और आतंकवाद को जारी रखती है ।

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